Not known Facts About लूनी नदी के बारे में कुछ जानकारी

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यह करौली जिले की सपोटरा तहसील की पहाड़िया से निकलकर धौलपुर में गंभीर नदी में मिल जाती हैं, इस नदी पर धौलपुर में पार्वती बाँध बनाया गया हैं.

झेलम, चिनाव, रावी, व्यास एवं सतलुज सिंध नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। इनके अतिरिक्त गिलगिट, काबुल, स्वात, कुर्रम, टोची, गोमल, संगर आदि अन्य सहायक नदियाँ हैं। मार्च में हिम के पिघलने के कारण इसमें अचानक भयंकर बाढ़ आ जाती है। बरसात में मानसून के कारण जल का स्तर ऊँचा रहता है। पर सितंबर में जल स्तर नीचा हो जाता है और जाड़े भर नीचा ही रहता है। सतलुज एवं सिंध के संगम के पास सिंध का जल बड़े पैमाने पर सिंचाई के लिए प्रयुक्त होता है। सन्‌ १९३२ में सक्खर में सिंध नदी पर लॉयड बाँध बना है जिसके द्वारा ५० लाख एकड़ भूमि की सिंचाई की जाती है। जहाँ भी सिंध नदी का जल सिंचाई के लिए उपलब्ध है, वहाँ गेहूँ की खेती का स्थान प्रमुख है और इसके अतिरिक्त कपास एवं अन्य अनाजों की भी खेती होती है तथा ढोरों के लिए चरागाह हैं। हैदराबाद (सिंध) के आगे नदी ३,०० वर्ग मील का डेल्टा बनाती है। गाद और नदी के मार्ग परिवर्तन करने के कारण नदी में नौसंचालन खतरनाक है।

 - स्थान सिंधु नदी डेल्टा (प्राथमिक), थार रेगिस्तान (अतिरिक्त), पाकिस्तान

कोतवाली क्षेत्र के ग्राम शेख हमदपुर निवासी एक युवक का शव मीरपुर रहीमाबाद स्थित तमसा नदी में उतराया हुआ दिखाई...

टोंक व सवाईमाधोपुर बनास नदी के किनारे स्थित हैं. बनास की अन्य सहायक नदियाँ कोठारी, गम्भीरी, खारी, मोरेल आदि हैं.

website कुम्हारागाँव (ग्राम), रायसेन ज़िला, मध्य प्रदेश, भारत

चित्तौड़गढ़ दुर्ग- गम्भीरी बेडच नदियों के किनारे

 - दाएँ श्योक नदी, हुनजा नदी, गिलगित नदी, स्वात नदी, कुनार नदी, काबुल नदी, कुर्रम नदी, गोमल नदी,, झोब नदी

गोमती में प्रदूषण का प्रमुख स्रोत हैं:

करंट की चपेट में आने से झुलसा संविदा लाइनमैन

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इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ बनास, बेडच, कोठारी, कालीसिंध, पार्वती आदि हैं.

जिस पर मेवाड़ का इतिहास व झील के निर्माण का विवरण संस्कृत भाषा में लिखा हुआ है. ये शिलालेख प्रकाशित है.

राज्य में जयसमंद, राजसमंद, पिछोला, आनासागर, पुष्कर, सिलीसेढ़, उदयसागर, फतेहसागर, जनासागर, नक्की कोयलाना आदि मीठे पानी की झीलें है.

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