Top Guidelines Of सूर्य पुत्र कर्ण के बारे में रोचक तथ्य

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दुर्योधन ये देख कर कर्ण से कारण पुछा और कारण जान कर जोर से हस पड़ा

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पुराणों के अनुसार महर्षि दुर्वासा के पास भविष्य देखने की शक्ति थी और वे जान गये थे कि राजकुमारी कुंती का विवाह कुरु कुल के महाराज पांडू से होगा और एक ऋषि से मिले श्राप के कारण वे कभी पिता नहीं बन पाएँगे.

महाभारत का युद्ध निश्‍चित हो जाने पर कुन्ती व्याकुल हो उठीं। वह नहीं चाहती थीं कि कर्ण का पाण्डवों के साथ युद्ध हो। वे कर्ण को समझाने के लिए कर्ण के पास गयीं। कुन्ती को देखकर कर्ण उनके सम्मान में उठ खड़े हुये और बोले,'आप पहली बार आई हैं अतः आप इस 'राधेय' का प्रणाम स्वीकार करें।' कर्ण की बातों को सुन कुन्ती का हृदय व्यथित हो गया और उन्होंने कहा,'पुत्र! तुम 'राधेय' नहीं 'कौन्तेय' हो। मैं ही तुम्हारी माँ हूँ किन्तु लोकाचार के भय से मैंने तुम्हें त्याग दिया था। तुम पाण्डवों के ज्येष्ठ भ्राता हो। इसलिये इस युद्ध में तुम्हें कौरवों के साथ नहीं वरन् अपने भाइयों के साथ रहना चाहिये। मैं नहीं चाहती कि भाइयों में परस्पर युद्ध हो। मैं चाहती हूँ कि तुम पाण्डवों के पक्ष में रहो। ज्येष्ठ भ्राता होने के कारण पाण्डवों के राज्य के तुम अधिकारी हो। मेरी इच्छा है कि युद्ध जीतकर तुम राजा बनो।'

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आपके दर्शन पाकर मैं धन्य हो गया। मेरे सभी पाप नष्ट हो गए प्रभु! आप भक्तों का कल्याण करने वाले हैं। मुझ पर भी कृपा करें।' तब श्रीकृष्ण उसे आशीर्वाद देते हुए बोले-'कर्ण! जब तक यह सूर्य, चन्द्र, तारे और पृथ्वी रहेंगे, तुम्हारी दानवीरता का गुणगान तीनों लोकों में किया जाएगा। संसार में तुम्हारे समान महान् सूर्य पुत्र कर्ण के बारे में रोचक तथ्य दानवीर न तो हुआ है और न कभी होगा। तुम्हारी यह बाण गंगा युगों-युगों तक तुम्हारे गुणगान करती रहेगी। अब तुम मोक्ष प्राप्त करोगे। कर्ण की दानवीरता और धर्मपरायणता देखकर अर्जुन भी उसके समक्ष नतमस्तक हो गया। टीका टिप्पणी और संदर्भ

वेद क्या है ? इनकी रचना किसने की ? वेद कितने है ?

(तारकीय पड़ोस में अन्य सितारों की औसत गति के सापेक्ष)

↑ "मुरैना के कुंतलपुर में हुआ था दानवीर कर्ण का जन्म, यहीं हैं पांडवों का ननिहाल".

राजन इसका अर्थ हुआ कि हम खाली हाथ ही लौट जाए? किन्तु इससे आपकी कीर्ति धूमिल हो जाएगी. संसार आपकों धर्म विहीन राजा के रूप में याद रखेगा, यह कहते हुए वे लौटने लगे.

महाभारत ग्रन्थ की रचना ऋषि व्यास ने की थी.

इस बात का फ़ायदा उठाते हुए इंद्र कर्ण से उसके जीवन रक्षक कवच और कुंडल मांग लिए

कर्ण अर्जुन भाई होते हुए भी बहुत बड़े दुश्मन थे. दोनों के पास बहुत ज्ञान और शिक्षा थी, दोनों अपने आप को एक दुसरे से बेहतर समझते है. लेकिन दोनों में कर्ण ज्यादा बलवान था, ये बात कृष्ण भी जानते थे वे कर्ण को अर्जुन से बेहतर योध्या मानते थे. कृष्ण ने अर्जुन को महाभारत युध्य से हटकर भारतवर्ष का राजा बनने के लिए बोला था, क्यूंकि कर्ण युधिष्ठिर व दुर्योधन दोनों से बड़े थे. लेकिन कर्ण ने कृष्ण की ये बात ठुकरा दी थी. कर्ण ने अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को महाभारत के चक्रव्यू में फंसा कर मार डाला था, इस बात से कृष्ण व पांडव दोनों बहुत आक्रोशित हुए थे, कर्ण को खुद भी इस बात का बहुत दुःख था क्यूनी वे जानते थे कि अभिमन्यु उनके ही भाई का बेटा है.

कर्ण दानवीर के नाम से भी प्रसिद्ध थे, कहा जाता है की आज तक कोई भी इनके पास से खाली हाथ वापस नहीं लौटा जिसका फ़ायदा उठा कर इंद्र ने भिक्षुक बन कर उसके कवच और कुंडल भिक्षा में मांग लिए जिससे महाभारत के युद्ध में अर्जुन की विजय हुई थी

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